स्वतःच्या

येथील सर्व कविता माझ्या स्वताच्या असून माझ्या परवानगी शिवाय कुठेही प्रकाशित करता येणार नाही

Wednesday, 18 January 2012

आज उनसे उलझे हम

आँखों में प्यार था..दिल में थी उलझन
आज उनसे उलझे हम

कह दिया..आप हमसे प्यार नहीं करते सनम
आज उनसे उलझे हम

कह दिया..आज से अलग करते है अपने रस्ते बड़ा दुखी था मन
आज उनसे उलझे हम

क्या काम का वो रिश्ता..जिस में प्यार दर्द हो.और चाहत मरहम
आज उनसे उलझे हम

वो भी थी गुस्से में..मनो रिश्ते ने तोड़ दिया था दम
आज उनसे उलझे हम

उन्होंने कहा आप ने दिल दुखाया बोहत ढाये सितम
आज उनसे उलझे हम

पर प्यार है...टकरार तो होगी..पर प्यार नहीं हो सकता कम
आज उनसे उलझे हम

वो धडकन है हमारी..और जिदगी..
प्यार से प्यारी..एक मीठी सी कहानी
टकरार हुवी...और ..लढाई भी
गुस्सा भी था और नाराज गी  भी
पर सुलझ गई बात
मुझे भी हुवा अपनी गलती का एहसास
आप सई थी गलत थे हम
आज उनसे उलझे हम






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