स्वतःच्या

येथील सर्व कविता माझ्या स्वताच्या असून माझ्या परवानगी शिवाय कुठेही प्रकाशित करता येणार नाही

Monday, 9 January 2012

हर बार दिल के तार..!!

हर बार
दिल के तार
क्यू छेड़ जाते हो
हसकर
दिल को तड़पाकर
न जाने कहा छुप जाते हो..!!!
हर मोह्हाला
हर गली
तेरी तलाश में
हम ने देख ली
पर तुम ना मिली
तुमारा नाम भी नही है पता
तुहे तो बस आते जाते है देखा
साथ में होता है भाई तुम्हारा
तभी तो कुछ हमसे कहा भी नहीं जाता
कभी आना अकेली
हमारी गली
हमें है प्यार आप से
बितानी है आपके साथ पूरी जिंदगी..!!!!

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